Sunday, June 14, 2020

Indus valley civilisation

Indus valley civilisation (  हिन्दू घाटी सभ्यता )


यह विश्व की प्राचीन  सभ्यताओं में से एक है।  इस सभ्यता को हड़प्पा  भी कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले हड़प्पा की खोज हुई।
 एलेग्जेंडर कनिंगभ को भारतीय पुरातत्व का जनक  कहा जाता है।  ये भारतीय पुरातात्विक सर्वेश्रण के पहले डायरेक्टर जनरल थे। 
सर जॉन मार्शल ने इस सभ्यता  को सिंधु घाटी सभ्यता  का  नाम दिया। 
1826 में चार्ल्स भेसन ने हड़प्पा टीले की पहली जानकारी दी। 
विस्तार - सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार त्रिभुजाकार है जो 12 लाख 99 हजार 600  वर्ग किलोमीटर है। हड़प्पा सभ्यता को ऋग्वेद में  हरिओपिआ  कहा जाता है। विस्तार के आधार पर  स्टुवर्ट पीटर ने हड़प्पा व मोहनजोदड़ो को जुडवा राजधानी बताया था। 
प्रमुख स्थल - हड़प्पा , लोथल,मोहनजोदड़ो ,कालीबंगा, चन्हूदड़ो व बनवाली सिंधु सभ्यता के  प्रमुख स्थल माने जाते है। 
सिंधु सभ्यता के चार बड़े नगर -मोहनजोदड़ो , हड़प्पा , गनेडीवाल ( पाकिस्तान ) तथा ढोलवीरा। 


                                                               हड़प्पा 


वर्त्तमान  स्थान -मोंटगोमरी पंजाब (पाकिस्तान )
नदी -रवि नदी 
 खोजकर्ता -दयाराम साहनी 1921 
प्राप्त  सामग्री -R-37 कब्रिस्तान ,अन्नागार ,उर्वरता की देवी ,मछुआरों का चित्र ,साँप को मुँह में दबाये हुए गरूर, 
शंख  का बना हुआ महल ,कांसे की  गाड़ी। 
  • अभिलेख युक्त मुहरे सर्वाधिक हड़प्पा से मिले है। 
  • हड़प्पा पुरातत्व स्थल की ईटे लाहौर तथा मुल्तान के बीच रेल पटरी  के  निर्माण में इस्तेमाल की गयी है। 
                                                               मोहनजोदड़ो 
 वर्त्तमान स्थान -लरकाना (पाकिस्तान )
नदी -सिंधु नदी
खोजकर्ता -राखलदास बनर्जी 1922
प्राप्त सामग्री -विशाल स्नानागार ,विशाल अन्नागार (सबसे लम्बी ईमारत ),महाविद्यलाय भवन ,कूबड़ वाला बैल, तीन सींग वाला योगी, कांस्य की नृत्यरत नारी की मूर्ति, पशुपति शिव की मुद्रा (गेंडा,भैस,हाथी,हिरण ),सीप का पैमाना,पूजारी का सिर ,सर्वाधिक मुहर।

  • यह एकमात्र ऐसा स्थान था जहा स्तूप मिला था। 
  • मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ 'मृतकों का टीला ' होता है। 
  • मोहनजोदड़ो को सिंध का बाग़ तथा सिंध का नखलिस्तान भी कहा जाता है। 
                                                             लोथल 

वर्त्तमान स्थान -अहमदाबाद (गुजरात )
नदी -भोगता नदी
खोजकर्ता - S R राव 1955 -63
प्राप्त सामग्री -डॉकयार्ड /जहाजों की गोढ़ी /बंदरगाह ,युगल समाधी ,चालाक लोमड़ी का चित्र ,चावल व बाजरे के साक्ष्य, मनके बनाने का कारखाना,मेसोपोटामिया व फारस की मुद्रा ,बतख के सर्वाधिक चित्र ,आटा पीसने की चक्की,अग्निकुंड, हाथीदांत का पैमाना।

  • यहाँ सबसे अच्छा जल निकासी का उदहारण मिलता है। 
  • लोथल को  मृतकों का टीला भी कहते है। 
  • लोथल को व्यापारिक गतिविधियों की राजधानी 'लघु हड़प्पा 'या 'लघु मोहनजोदड़ो 'के उपनामो से भी जाना जाता है। 
                                                             कालीबंगा 
वर्त्तमान स्थान -हनुमानगढ़। कालीबंगा राजस्थान के हनुमान गढ़ जिले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है यह प्राचीन समय में चूड़ियों के लिए प्रसिद्द था।
नदी-घग्घर।
खोजकर्ता -अमलानंद घोष।
प्राप्त सामग्री -जुते हुए खेत के साक्ष्य ,लकड़ी की नालियां ,हवन कुंड ,अग्निकुंड ,हल के साक्ष्य ,समाधी, युगल खेती, अलंकृत ईंट।

  • कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ 'काली चूरियां' होता है। 
  • इसे सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जाता है। 
  • सिंधुघाटी सभ्यता का यह एकमात्र स्थल है जहा जल निकासी का अभाव व मातृदेवी  मूर्ती का आभाव पाया गया है। 
  • इस सभ्यता के स्थल में तीन सांस्कृतिक चरणों के साक्ष्य प्राप्त हुए है। 
  • यह इस सभ्यता की गरीब बस्तियों में से एक है। 
                                                         धौलावीरा 
वर्त्तमान स्थल -कच्छ (गुजरात)
नदी -मानसर नदी।
उल्खनन कर्ता -R.S visht
प्राप्त सामग्री -सबसे बड़ा स्टेडियम,नगर के तीन विभाजन दुर्ग क्षेत्र ,मध्यम नगर ,नीचला नगर।

  • यह भारत में स्थित सबसे बड़ा स्थल है। 
                                                          चन्हूदड़ो 
वर्तमान स्थल -सिंध (पाकिस्तान)
नदी -सिंधु।
खोजकर्ता -मजूमदार व मेके।
प्राप्त सामग्री -अलंकृत हाथी ,मनके बनाने का कारखाना , कुत्ता व बिल्ली के पैरो के निशान,वक्राकार ईंटे।

  • यह एकमात्र स्थल है जहा वक्राकार ईंटे मिली है। 
  • यहां से किसी भी दुर्ग के अवशेष नहीं मिले है। 
                                                           वनवाली      
वर्त्तमान स्थान -हिसार।
नदी -सरस्वती नदी।
उल्खनन कर्ता -R.S visht
प्राप्त सामग्री -खिलोने के रूप में हल कीआकृति ,कालीबंगा व हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष, अग्निवेदिका के अवशेष,जलनिकासी प्रणाली का अभाव, तिल,सरसो व जौ के अवशेष, वर्तमान बैलगाड़ी के आकार के समान निशान।                      
                                                         सुरकोटड़ा 
 वर्त्तमान स्थान- कच्छ (गुजरात )
 खोजकर्ता -जगपति जोशी 1964
प्राप्त सामग्री - घोड़े की अस्थियां इत्यादि।
                                                         रंगपुर 
वर्त्तमान स्थान -अहमदाबाद
नदी -मादर नदी
उल्खनन कर्ता- M S Vats व S R Rao
प्राप्त सामग्री -धान की भूसी ,कालीबंगा  समान कच्ची ईंट के दुर्ग।   


                                          सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य स्थल 

  • सतलुज नदी के किनारे स्थित रोपड़ से ताम्बे की कुल्हाड़ी प्राप्त हुई है। 
  • रोपड़ ,बुर्जहोम के आलावा यह  एकमात्र स्थल है  जहाँ मानव के साथ कुत्ते को  दफ़नाने के साक्ष्य मिले है।
  • चिनाव नदी के किनारे हड़प्पा सभ्यता के त्रिस्तरीय संस्कृति  क्रम मिले है। 
  • अमरि एकमात्र स्थल है जहा से  गंडे के साक्ष्य मिले है। 
  • सिंध, पाकिस्तान व यूनान से व्यापर के साक्ष्य मिले है। 
  • हरियाणा (भगवानपुरा ) से पक्की ईंटो के मकान मिले है 
                                         सिंधु सभ्यता के कुछ विशेष तथ्य 

  • शासन-व्यवस्था -जनतंत्रात्मक,गणतंत्रात्मक 
  • यहाँ मातृसत्तातमक परिवार थे। लोग शकाहारी व मांसाहारी दोनों थे। 
  • ये लोग घोड़े व लोहे से अपरिचित थे लेकिन  गुजरात के लोग हाथी  पालते थे। 
  • सिंधु सभ्यता से गाय के कोई चित्रण नहीं मिले है। 
  • भारत की प्राचीन मुद्रा सिंधु सभ्यता की सेलखड़ी की मानी जाती है। 
  • मेहरगढ़ से स्थायी जीवन के कुछ प्रमाण मिले है। 
  • सिंधु सभ्यता की लिपि बाये से दांये व दाएं से बाएं लिखी जाती हैजिसे ज़िगज़ैग कहा जाता है। 
  • इस लिपि में 64 शब्द व लगभग 400 अक्षर सामने आएं है। 
  • यहाँ सर्वाधिक प्रचलित चिन्ह मछली के आकर का था। 
  •   मनके बनाने के कारखाने चन्हूदड़ो के अलावा लोथल में भी मिले है। 
  • कालीबंगा से हल के साक्ष्य व वनवाली से हल की आकृति के खिलोने मिले है। 
  • मोहनजोदड़ो से अवतल चक्कियाँ बड़ी संख्या में मिले है तथा यहाँ से जड़ीबूटियां व मसालो को कूटने के पत्थर मिले है जिन्हे सालन  पत्थर कहा जाता है। 
  • नागेश्वर व बालकेट से शंख की बनी हुई वस्तुए प्राप्त हुई है। 
                                            सिंधु घाटी सभ्यता का पतन  
सिंधु घाटी सभ्यता का  पतन होने के अनेको कारन माने जाते है ,विभिन्न विद्वानों के अनुसार इस सभ्यता के पतन के अलग-अलग कारण है। 
  • M R Sahani के अनुसार भौतिक परिवर्तन ही पतन का कारण है। 
  • John Marshal एवं S R Rao  का कहना है बाढ़ है पतन का कारण। 
  • U K R canedi का मानना है प्राकर्तिक आपदा है। 
  • Aarel Stain ,A N Ghosh  के अनुसार जलवायु परिवर्तन। 

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